बंधूक meaning in Hindi
[ bendhuk ] sound:
बंधूक sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- एक छोटा पौधा:"गुलदुपहरिया में सफेद और सुगंधित फूल आते हैं"
synonyms:गुलदुपहरिया, बंधुजीव, बन्धुजीव, बंधुजीवक, बन्धुजीवक, रक्तक, रागप्रसव, रागपुष्प, रक्त, रक्तपुष्प, गुल-दुपहरिया, अहन्-पुष्प, दुपहरिया, दोपहरिया - एक छोटे पौधे का फूल जो सफेद और सुगंधित होता है:"कहीं से गुलदुपहरिया की सुगंध आ रही है"
synonyms:गुलदुपहरिया, बंधुजीव, बन्धुजीव, बंधुजीवक, बन्धुजीवक, रक्तक, रागप्रसव, रागपुष्प, रक्त, रक्तपुष्प, गुल-दुपहरिया, अहन्-पुष्प
Examples
More: Next- फूल उठे है कमल , अधर-से ये बंधूक सुहाए।
- दोपहर की डाल पर फूला हुआ बंधूक हूँ मैं।
- चलानाजरूरी एक खतरनाक टेररिस्ट बनने के लिए सिर्फ बंधूक या बम चलाना ही नहीं बल्कि रिक्शा चलाना भी जरूरीहोता है .
- 4 . लाल कनेर के पुष्पों से होम करने पर बहुत से लोगों का आकर्षण होता है व बंधूक पुष्पों से होम करने पर भाग्य बृद्धि होती है
- सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि करीब 30 नाकाब पोश बंधूक धारियों ने उस समय सरकारी अधिकारियों के वाहन को नवराक के पास रोका , जब वे उत्तरी वजीरीस्तान के जनजाति क्षेत्र के प्रमुख केन्द्र मिरानशाह जा रहे थे।
- तो जिस समाज में खून बहाये बगैर ही हर महिने दस हजार से ज्यादा किसान-ग्रामिण-आदिवासी खुदकुशी कर लेते हो वहा इंजिनियर का बंधूक उठाना और माओवादी हिंसा में हर महिने सौ से ज्यादा लोगो का मारा जाना सभ्य समाज के लिये खतरा तो है ।
- तो जिस समाज में खून बहाये बगैर ही हर महिने दस हजार से ज्यादा किसान-ग्रामिण-आदिवासी खुदकुशी कर लेते हो वहा इंजिनियर का बंधूक उठाना और माओवादी हिंसा में हर महिने सौ से ज्यादा लोगो का मारा जाना सभ्य समाज के लिये खतरा तो है ।
- यानी जहां बंदूक चुक रही है या फिर बंदूक क्यों मजबूरी बना दी गई है और इन परिस्थितियो में कोई एक्टीविस्ट क्यों सोच रहा है जो बंधूक की बंदिशे लागू नहीं करा पाती और राज्य बंधूक को ही मुद्दा बनाकर असल मुद्दे से परिस्थितियों को अलग कर देता है ।
- यानी जहां बंदूक चुक रही है या फिर बंदूक क्यों मजबूरी बना दी गई है और इन परिस्थितियो में कोई एक्टीविस्ट क्यों सोच रहा है जो बंधूक की बंदिशे लागू नहीं करा पाती और राज्य बंधूक को ही मुद्दा बनाकर असल मुद्दे से परिस्थितियों को अलग कर देता है ।
- निरख सखि , ये खंजन आए , फेरे उन मेरे रंजन ने नयन इधर मन भाए ! फैला उनके तन का आतप , मन ने सर सरसाए , घूमे वे इस ओर वहाँ से , ये हँस यहाँ उड़ छाए ! करके ध्यान आज इस जन का निश्चय वे मुसकाए फूल उठे है कमल , अधर-से ये बंधूक सुहाए।