प्रहरण meaning in Hindi
[ perhern ] sound:
प्रहरण sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- किसी वस्तु, शरीर आदि पर किसी दूसरी वस्तु के वेगपूर्वक आकर गिरने या लगने की क्रिया (जिससे कभी-कभी अनिष्ट या हानि होती है):"राहगीर उसे आघात से बचाने के लिए दौड़ा"
synonyms:आघात, चोट, वार, प्रहार, घात, व्याघात, विघात, अभिघात, अवघात, आहति, जद, ज़द - वह हथियार जो शत्रु पर फेंक कर चलाया जाए:"बाण एक अस्त्र है"
synonyms:अस्त्र - शत्रुतावश दो दलों के बीच हथियारों से की जाने वाली लड़ाई:"महाभारत का युद्ध अठारह दिनों तक चला था"
synonyms:युद्ध, लड़ाई, संग्राम, जंग, रण, समर, पुष्कर, योधन, अनीक, अजूह, कंदल, अभेड़ा, अभ्यागम, अभेरा, मृध, वृजन, वृत्रतूर्य, वाज, वराक, स्कंध, स्कन्ध, विशसन, प्रसर, आकारीठ, आजि, आयोधन, आहर, आहव, प्रतिदारण, संकुल, सङ्कुल, भर, पैकार - छीनने, लूटने या अनुचित रूप से बलपूर्वक ले लेने की क्रिया:"रावण ने सीता का हरण किया था"
synonyms:हरण, हरन, हरना, अवहरण, आहरण - मारने या प्रहार करने की क्रिया या भाव:"किसी को मारने के लिए हिम्मत चाहिए"
synonyms:मारना, मारण, मारन - पर्दे वाली डोली या गाड़ी:"प्रहरण में बैठकर लोग मेला देखने जा रहे हैं"
- मृदंग के बारह प्रबंधों में से एक:"उसे प्रहरण का पूर्ण ज्ञान है"
Examples
More: Next- सहे मुक्त प्रहरण अनंग का , दर्प कहाँ वह तन में?
- संग्रामजित , वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।
- फंसे रथचक्र को जब तक निकालूं , धनुष धारण करूं, प्रहरण संभालूं ,
- पुराणों के अनुसार तपस्या मे लगे हुए तापस मुनियों को समाधि से हटाने के लिए इंद्र अप्सरा को अपना सुकुमार , परंतु मोहक प्रहरण बनाते हैं।
- एक-दूसरे के करीब आना , एक-दूसरे का भरोसा जीतना , चुम्बन में क्लेश , प्रहरण , दन्तक्षत , नखाघात आदि स्त्री और पुरुष के प्रेम , भरोसे तथा संभोग-क्रिया को सुखदायी बनाते हैं।
- एक-दूसरे के करीब आना , एक-दूसरे का भरोसा जीतना , चुम्बन में क्लेश , प्रहरण , दन्तक्षत , नखाघात आदि स्त्री और पुरुष के प्रेम , भरोसे तथा संभोग-क्रिया को सुखदायी बनाते हैं।
- फंसे रथचक्र को जब तक निकालूं , धनुष धारण करूं , प्रहरण संभालूं , ” ” रुको तब तक , चलाना बाण फिर तुम ; हरण करना , सको तो , प्राण फिर तुम .
- फंसे रथचक्र को जब तक निकालूं , धनुष धारण करूं , प्रहरण संभालूं , ” ” रुको तब तक , चलाना बाण फिर तुम ; हरण करना , सको तो , प्राण फिर तुम .
- जग को वश में कर लेगा सोचा अहा अपरिमित बल मेरा फिर मैं अबाध स्वातंत्र्य भूमि में सदा लगाऊँगा फेरा बस अनल निर्मम प्रहरण से नित्य बढ़ाता रहा चरण- बोला , प्रभु ने ही किया कैद स्वामी ही हैं बन्धन कारण॥ 3 ॥
- आख़िर स्त्रियों पर ही कल की नारियाँ और भविष्य की देवियाँ गढ़ने की जिम्मेदारी हैं मैं चाहती हूँ की आने पीढीयाँ ह्रदय से गाये “ त्वं ही दुर्गा दश प्रहरण धारिणी , कमला कमल दल विहारिनिम , वाणीर विद्या दायिनी , नमामि त्वं नमामि कमलां अमलां अतुला म. .......................... ”