पुहुमी meaning in Hindi
[ puhumi ] sound:
पुहुमी sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- सौर जगत का वह ग्रह जिस पर हम लोग निवास करते हैं:"चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है"
synonyms:पृथ्वी, धरती, धरा, भू, वसुंधरा, वसुन्धरा, वसुधा, धरणि, धरित्री, धरणी, अवनि, उर्वि, रत्नगर्भा, क्षिति, महि, मही, अचलकीला, अचला, अदिति, अपारा, रेणुका, जमीन, ज़मीन, ज़मीं, जमीं, भूमंडल, भूमण्डल, पृथिवीमंडल, पृथिवीमण्डल, पृथिवी, खगवती, अवनी, विपुला, देवयजनी, बीजसू, विश्वंभरा, विश्वम्भरा, प्रथी, धरुण, विश्वधारिणी, विश्वगंधा, विश्वगन्धा, जगद्वहा, रेनुका, जगद्योनि, इड़ा, सोलाली, तोयनीबी, मेदिनी, केलि, वैष्णवी, मला, प्रियदत्ता, रसा, अहि, भूतधात्री, आदिमा, वसनार्णवा, हेमा, भूयण, पुहमी, पोहमी, सुगंधिमाता, सुगन्धिमाता, इरा, इल, इला, धात्री, इलिका, रत्नसू, रत्नसूति, यला, भूमिका, अद्रिकीला, उदधिमेखला, तप्तायनी
Examples
More: Next- पीरे परिधान पैन्हि पुहुमी परी कौ पैखि
- हरिसर ते पीड़ितहुतो आवत पुहुमी ओर।
- कवि श्री हरिजूने भी कहा है- पीरे परिधान पैन्हि पुहुमी परी कौ पैखि फूलै द्रुम लतिका ललामा भई जाती है।
- दइ तालन बीस भुजा झहराय झुको धानु को झकझोरत है तिल एक हलै न हलै पुहुमी रिसि पीसि के दाँतन तोरत है।
- दइ तालन बीस भुजा झहराय झुको धानु को झकझोरत है तिल एक हलै न हलै पुहुमी रिसि पीसि के दाँतन तोरत है।
- कालिदास कोप्यो वीर औलिया अलमगीर , तीन तरवारि गही पुहुमी पराई में बूँद तें निकसि महिमंडल घमंड मची , लोहू की लहरि हिमगिरि की तराई में।
- दिनिअर , ससहर , अहुट्ठ , भुवाल , पइट्ठ , बिसहर , सरह , पुहुमी ( दिनकर , शशधार , अध् युष्ठ , भूपाल , प्रविष्ट , विषधर , शलभ , पृथ्वी ) आदि प्राकृत संज्ञाओं के अतिरिक्त और प्रकार के पुराने शब्द और रूप भी मिलते हैं।
- दिनिअर , ससहर , अहुट्ठ , भुवाल , पइट्ठ , बिसहर , सरह , पुहुमी ( दिनकर , शशधार , अध् युष्ठ , भूपाल , प्रविष्ट , विषधर , शलभ , पृथ्वी ) आदि प्राकृत संज्ञाओं के अतिरिक्त और प्रकार के पुराने शब्द और रूप भी मिलते हैं।
- पदमावत में ' दिनअर ' , ' ससहर ' , ' अहुठ ' , ' भुवाल ' , ' बिसहर ' , ' पुहुमी ' आदि शब्दों का प्रयोग तथा प्राकृत अपभ्रंश की पुरानी प्रथा के अनुसार ' हि ' विभक्ति का सब कारकों में व्यवहार देख यह दृढ़ अनुमान होता है कि जायसी ने किसी से भाषा - काव्य - परम्परा की जानकारी प्राप्त की थी।
- पदमावत में ' दिनअर ' , ' ससहर ' , ' अहुठ ' , ' भुवाल ' , ' बिसहर ' , ' पुहुमी ' आदि शब्दों का प्रयोग तथा प्राकृत अपभ्रंश की पुरानी प्रथा के अनुसार ' हि ' विभक्ति का सब कारकों में व्यवहार देख यह दृढ़ अनुमान होता है कि जायसी ने किसी से भाषा - काव्य - परम्परा की जानकारी प्राप्त की थी।