नीचत्व meaning in Hindi
[ nichetv ] sound:
नीचत्व sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- दुर्जन होने की अवस्था या भाव:"दुर्जनता से बचो"
synonyms:दुर्जनता, असज्जनता, असाधुता, असाधुत्व, कमीनापन, दुष्टता, शठता, नीचता, अधमता, कुचाल, खोटाई, म्लेच्छता, दौर्जन्य, सिफलगी, पामरता, निकृति, असुराई, दौर्हृदय, कल्क - अधम या नीच होने की अवस्था या भाव:"अधमता से ऊपर उठकर ही समाज का विकास किया जा सकता है"
synonyms:अधमता, कमीनापन, क्षुद्रता, दुष्टता, नीचता, नीचाई, निचाई, छिछोरापन, छिछोरपन, हरामीपन, हरमजदगी, हरमज़दगी, पाजीपन, अपकृष्टता, खोटापन, खोटाई, अधमाई, पजौड़ापन, पामरता, पाजीपना, नीचापन, निचान, नीचई, अवगुण
Examples
More: Next- फलस्वरूप मंगल का नीचत्व भंग हो गया और उसे गुरु का शुभत्व भी मिला।
- क्योंकि शब्द और शब्दों का विश्लेषण करने वाले कई ज्योतिषी उन्हें विश्वास दिला चुके होते हैं कि जो कुछ है इन्हीं ग्रहों के उच्चत्व और नीचत्व में है।
- तो क्या होता है उच्चत्व और नीचत्व का प्रभाव- सबसे पहली बात हर ग्रह अपनी उच्च राशि में तीव्रता से परिणाम देता है और नीच राशि में मंदता के साथ।
- ग्रहों के उच्चत्व और नीचत्व पर उनका इतना भरोसा होता है कि जब मैं कहता हूं कि आपकी कुण्डली तो तुला लग्न की है इसमें गुरू अकारक है या आपकी कुण्डली धनु लग्न की है इसमें शुक्र अकारक है।
- उक्त राशियों में मौजूद चंद्रमा पर पाप दृष्टि हो , शनि यदि अस्तगत, नीचत्व प्राप्त हो व त्रिक्भाव में त्रिकेशों के साथ हो अथवा मेष राशि में पापी ग्रह हो तो पोलियो की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
- चूँकि भावेश भाव की दृष्टि से देखा जाए तो गुरु ने नीचत्व प्रभाव भी प्राप्त किया है , जो शत्रु भाव का है, अत: लाख परोपकारी हो या महान उपदेशक, लेकिन शत्रुओं से हमेशा पीडि़त ही रहता है, जो उनके व्यक्तित्व में देखने को मिलता है।
- ये तो हुई इस योग की बात परन्तु ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखे तो इस योग से फायदा क्यों होता है , क्योकि मंगल और चन्द्रमा दोनों तो एक शत्रु ग्रह है, और मंगल की राशी में आकर चन्द्रमा नीचत्व को प्राप्त होता है, यंहा तक की मेष राशी में भी चन्द्रमा के फल अच्छे नहीं माने गए है.
- ( iii ) जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो , शुक्र की दषा चल रही हो या शुक्र अषुभ भाव ( 6 , 8 , 12 ) मं स्थित हो तो अपने प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देषी गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंघित कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।