निद्राभंग meaning in Hindi
[ nideraabhenga ] sound:
निद्राभंग sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- नींद पूरी होने से पूर्व जगाने की क्रिया:"निद्रा भंग होने के कारण बच्चा चिड़चिड़ाने लगा"
synonyms:निद्रा भंग, निद्रा-भंग, निद्राभंग
Examples
More: Next- अश्वेत सामाजिक दर्शन , जो इस निद्राभंग से पैदा हुआ, वह मार्टिन लूथर किंग के नागरिक अधिकार आंदोलन का भी आधार बना।
- ( 1) बहुत देर तक नींद न आना, (2) सोते समय बार बार निद्राभंग होना और फिर कुछ देर तक न सो पाना,
- कालयवन पीताम्बर से भ्रमित हो कर तथा कृष्ण समझ कर मुचकुन्द ऋषि के साथ धृष्टता कर बैठता है जिससे उनकी निद्राभंग हो जाती है।
- अप्रदश्र्य होने के कारण उसके स्थान पर मूच्र्छा ) - मानी गई हैं, जिनके स्थान पर कहीं अपने तथा कहीं दूसरे के मत के रूप में विष्णुधर्मोत्तरपुराण, दशरूपक की अवलोक टीका, साहित्यदर्पण, प्रतापरुद्रीय तथा सरस्वतीकंठाभरण तथा काव्यदर्पण में किंचित् परिवर्तन के साथ चक्षुप्रीति, मन:संग, स्मरण, निद्राभंग, तनुता, व्यावृत्ति, लज्जानाश, उन्माद, मूच्र्छा तथा मरण का उल्लेख किया गया है।
- पूर्वानुराग का दश कामदशाएँ - अभिलाष , चिंता, अनुस्मृति, गुणकीर्तन, उद्वेग, विलाप, व्याधि, जड़ता तथा मरण (या अप्रदश्र्य होने के कारण उसके स्थान पर मूच्र्छा) - मानी गई हैं, जिनके स्थान पर कहीं अपने तथा कहीं दूसरे के मत के रूप में विष्णुधर्मोत्तरपुराण, दशरूपक की अवलोक टीका, साहित्यदर्पण, प्रतापरुद्रीय तथा सरस्वतीकंठाभरण तथा काव्यदर्पण में किंचित् परिवर्तन के साथ चक्षुप्रीति, मन:संग, स्मरण, निद्राभंग, तनुता, व्यावृत्ति, लज्जानाश, उन्माद, मूच्र्छा तथा मरण का उल्लेख किया गया है।
- पूर्वानुराग का दश कामदशाएँ - अभिलाष , चिंता , अनुस्मृति , गुणकीर्तन , उद्वेग , विलाप , व्याधि , जड़ता तथा मरण ( या अप्रदश्र्य होने के कारण उसके स्थान पर मूच्र्छा ) - मानी गई हैं , जिनके स्थान पर कहीं अपने तथा कहीं दूसरे के मत के रूप में विष्णुधर्मोत्तरपुराण , दशरूपक की अवलोक टीका , साहित्यदर्पण , प्रतापरुद्रीय तथा सरस्वतीकंठाभरण तथा काव्यदर्पण में किंचित् परिवर्तन के साथ चक्षुप्रीति , मन : संग , स्मरण , निद्राभंग , तनुता , व्यावृत्ति , लज्जानाश , उन्माद , मूच्र्छा तथा मरण का उल्लेख किया गया है।
- पूर्वानुराग का दश कामदशाएँ - अभिलाष , चिंता , अनुस्मृति , गुणकीर्तन , उद्वेग , विलाप , व्याधि , जड़ता तथा मरण ( या अप्रदश्र्य होने के कारण उसके स्थान पर मूच्र्छा ) - मानी गई हैं , जिनके स्थान पर कहीं अपने तथा कहीं दूसरे के मत के रूप में विष्णुधर्मोत्तरपुराण , दशरूपक की अवलोक टीका , साहित्यदर्पण , प्रतापरुद्रीय तथा सरस्वतीकंठाभरण तथा काव्यदर्पण में किंचित् परिवर्तन के साथ चक्षुप्रीति , मन : संग , स्मरण , निद्राभंग , तनुता , व्यावृत्ति , लज्जानाश , उन्माद , मूच्र्छा तथा मरण का उल्लेख किया गया है।