दाहिक meaning in Hindi
[ daahik ] sound:
दाहिक sentence in Hindi
Examples
More: Next- धर देता है भून रूप को दाहिक आलिंगन से
- और जाहिर है कि किसी छत्तीसगढ़ी जानने वाले की मदद नहीं ली गई है , इसलिए यहां बोल में, भरोसा, दानी व अभिमानी के बदले क्रमशः बरोसा, दाहिक व बीमाही जैसी कई भूलें हैं।
- धर देता है भून रूप को दाहिक आलिंगन से छवि को प्रभाहीन कर देता ताप तप्त चुम्बन से पतझर का उपमान बना देता वाटिका हरी को और चूमता रहता फिर सुन्दरता की ठठरी को।
- इंटरनेट पर उपलब् ध इस गीत के फिल् मी संस् करण के बोल अंगरेजी-रोमन में हैं ( हिन् दी फिल् मों का कारोबार इसी तरह चलता है ) और जाहिर है कि किसी छत् तीसगढ़ी जानने वाले की मदद नहीं ली गई है , इसलिए यहां बोल में , भरोसा , दानी व अभिमानी के बदले क्रमशः बरोसा , दाहिक व बीमाही जैसी कई भूलें हैं।
- इंटरनेट पर उपलब् ध इस गीत के फिल् मी संस् करण के बोल अंगरेजी-रोमन में हैं ( हिन् दी फिल् मों का कारोबार इसी तरह चलता है ) और जाहिर है कि किसी छत् तीसगढ़ी जानने वाले की मदद नहीं ली गई है , इसलिए यहां बोल में , भरोसा , दानी व अभिमानी के बदले क्रमशः बरोसा , दाहिक व बीमाही जैसी कई भूलें हैं।
- इंटरनेट पर जारी इस गीत के बोल अंगरेजी- रोमन में हैं ( हिन्दी फिल्मों का कारोबार इसी तरह चलता है ) और जाहिर है कि किसी छत्तीसगढ़ी जानने वाले की मदद नहीं ली गई है , इसलिए इसमें बोल , जैसा गीत में सुनाई पड़ता है , उसी तरह से आया है और भरोसा , दानी व अभिमानी के बदले क्रमश : बरोसा , दाहिक व बीमाही जैसी कई भूलें हैं।
- इंटरनेट पर जारी इस गीत के बोल अंगरेजी- रोमन में हैं ( हिन्दी फिल्मों का कारोबार इसी तरह चलता है ) और जाहिर है कि किसी छत्तीसगढ़ी जानने वाले की मदद नहीं ली गई है , इसलिए इसमें बोल , जैसा गीत में सुनाई पड़ता है , उसी तरह से आया है और भरोसा , दानी व अभिमानी के बदले क्रमश : बरोसा , दाहिक व बीमाही जैसी कई भूलें हैं।
- यह सही है कि विपरीत लिंग की हर घनिष्टता दैहिक / यौनिक नहीं होती -इस पर कैसी बहस ? दाहिक सम्बन्ध कायम होना इतना सहज नहीं है -यह सभी से संभव नहीं कम से कम मनुष्य में - कितने मनोगत कारण हैं जिनसे यह पवित्र सम्बन्ध मूर्त होता है - मन से दैहिक सम्बन्ध से बढ़कर इस संसार में पवित्र कुछ नहीं है और बेमन से इससे बड़ा कोई पाप नहीं !
- यह सही है कि विपरीत लिंग की हर घनिष्टता दैहिक / यौनिक नहीं होती -इस पर कैसी बहस ? दाहिक सम्बन्ध कायम होना इतना सहज नहीं है -यह सभी से संभव नहीं कम से कम मनुष्य में - कितने मनोगत कारण हैं जिनसे यह पवित्र सम्बन्ध मूर्त होता है - मन से दैहिक सम्बन्ध से बढ़कर इस संसार में पवित्र कुछ नहीं है और बेमन से इससे बड़ा कोई पाप नहीं !