ताराज meaning in Hindi
[ taaraaj ] sound:
ताराज sentence in Hindi
Meaning
संज्ञा- किसी चीज़ के अस्तित्व की समाप्ति:"पर्यावरण की देखभाल न करने से सृष्टि के विनाश की संभावना है"
synonyms:विनाश, अंत, अन्त, तबाही, नाश, बरबादी, ध्वंस, ध्वन्स, विध्वंस, विध्वन्स, संहार, सफाया, पराभव, क्षय, अवक्षय, लोप, विलोप, विलुप्ति, उच्छेद, उच्छेदन, अनुघत, अपचय, अपध्वंस, अपध्वन्स, फ़ना, फना, पामाली, अपहति, अपाय, अप्यय, विघात, निपात, न्यय, अर्दन, दलन, विच्छेद, अवध्वंस, अवध्वन्स, अवसन्नता, अवसन्नत्व, अवसादन, विपर्यय, तलफी, तलफ़ी, उच्छित्ति, उछेद - लोगों को मार-पीट कर उनका धन छीनने की क्रिया:"डाकुओं ने ठाकुर के घर में घुसकर बहुत लूटमार की"
synonyms:लूटमार, लूट-पाट, लूट-खसोट, लूटपाट, लूटखसोट, लूट खसोट, अवलेखा
Examples
More: Next- त गण - ताराज - 221
- तगण = ताराज = ( १ , १ , ० )
- तुम तो तीरों का अज़ख़ुद निशाना बने हुए हो , तुम्हें हलाक व ताराज किया जा रहा है मगर तुम्हारे क़दम हमले के लिये नहीं उठते।
- अपनी सिसकती रुहों पर ग़मों का अंबार लिए भीगी भीगी पलकों और थके थके क़दमों से इमारत एक छोटे से हॉल में प्रवेश कर रही थीं जो शायद बम बारी के कारण तबाह व ताराज हो चुकी थी .
- हज़रत आइशा की राय थी कि मदीने ही को ताख्तो ताराज का निशाना ( लक्ष्य ) बनाया जाय मगर कुछ लोगों ने इस की मुखालिफ़त ( विरोध ) किया और कहा कि अहले मदीना से निपटना मुशकिल है और किसी जगह को मर्कज़ बनाना चाहिये।
- प्रसंगवश बताना चाहूंगी कि यमाताराजभानसलगा इसी श् लोक की तरह हिन्दी सूत्र है , जिसका अर्थ है -यमाता अर्थात एक लघु दो गुरु का यगण होता है , फिर मातारा अर्थात मगण में तीनों मात्राएँ गुरू , फिर ताराज अर्थात तगण में दो गुरु एक वर्ण लघु ।
- वह बनी उमैया की तबाह कारियों के मुतअल्लिक़ हों या खवारिज की शोरिश अंगेज़ियों ( उपद्रवी कृत्यों ) के मुतअल्लिक़ वह तातारियों की ताख्त व ताराज के बारे में हो या जंगियों की हमला आवरयों के मुतअल्लिक़ , वह बसरा की ग़र्क़ाबी के बारे में हो या कूफ़ा की तबाही के मुअल्लिक़।
- ऐ कूफ़ा ! यह मंज़र ( दृश्य ) गोया ( जैसे ) मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं कि तुझे इस तरह खींचा जा रहा है जैसे बाज़ारे उकाज़ के दबाग़त किये हुए ( कमाए हुए ) चमड़े को और मसाइब व आलाम ( दुखों एंव आपत्तियों ) की ताख्त व ताराज ( विनाशकारियों ) से तुझे कुचला जा रहा है और शदाइदो हवादिस ( अत्याचारों व दुर्धटनाओं ) का तू मर्कब ( सवारी ) बना हुआ है।
- क़सम है उन घोड़ों की जो हाफ्ते हुए दौड़ते हैं , फिर टाप मार कर आग झाड़ते हैं , फिर सुब्ह के वक़्त तख़्त ओ ताराज करते हैं , फिर उस वक़्त गुबार उड़ाते हैं , फिर उस वक़्त जमाअत में जा घुसते हैं , बेशक आदमी अपने परवर दिगार का बड़ा नाशुक्रा है , और इसको खुद भी इसकी खबर है , और वह माल की मुहब्बत में बड़ा मज़बूत है , क्या इसको वह वक़्त मालूम नहीं जब जिंदा किए जाएँगे , जितने मुर्दे कब्र में हैं .