अवस्तु meaning in Hindi
[ avestu ] sound:
अवस्तु sentence in Hindiअवस्तु meaning in English
Meaning
विशेषण- बिल्कुल निम्न या निकृष्ट कोटि का:"तुम्हारी घटिया हरकतों से मैं तंग आ गया हूँ"
synonyms:घटिया, निकृष्ट, नीच, ओछा, छिछोरा, तुच्छ, कमीना, बाज़ारू, बाज़ारी, बज़ारू, बाजारू, बाजारी, बजारू, बजारी, भोंडा, भौंड़ा, अधम, क्षुद्र, हलका, हल्का, टुच्चा, अनसठ, म्लेच्छ, सस्ता, हेय, हीन, सड़ियल, संकीर्ण, सिफला, सिफ़ला, ऊन, अरजल, वराक, अरम, अवद्य, अश्लाघनीय, अश्लाघ्य, पोच, इत्वर - जिसमें अंदर का स्थान शून्य हो या जो भरा न हो :"भिखारी के रिक्त पात्र में राहगीर ने कुछ पैसे डाल दिये"
synonyms:रिक्त, खाली, ख़ाली, रीता, रिता, शून्य - जो वस्तु न हो:"अवस्तु मनोभावों, विचारों आदि को व्यक्त करना इतना सहज नहीं है"
synonyms:अपदार्थ
- वह जिसका कोई महत्व न हो:"नगण्य को कौन भाव देता है"
synonyms:नगण्य, महत्वहीन, ग़ैर महत्वपूर्ण, गैर महत्वपूर्ण, महत्त्वहीन, अमहत्वपूर्ण, अमहत्त्वपूर्ण, तुच्छ, असार, हकीर, अनुबंध, अनुबन्ध - वस्तु का अभाव:"अवस्तु में जीवन संभव नहीं हो सकता"
Examples
More: Next- अध्यारोप- अवस्तु में वस्तु का आरोप . .
- प्रश्नकर्ता : आत्मार्थी के लिए तो कीर्ति अवस्तु है न ?
- जो धर्म को द्वितीय वस्तु समझता है वह उसे अवस्तु समझता है ।
- ये अवस्तु हैं , तभी इन से मुक्ति संभव है, किन्तु क्योंकि अवस्तुहोने पर भी ये हैं, इसी से प्रयत्न की विद्यमानता और सार्थकता है.
- वह आत्मदेव जिसकी शक्ति से संपूर्ण संसार स्थिर है और जिसकी शक्ति से संपूर्ण कामनायें पूरी होती हैं , उसको कोई विरले ही मांगते हैं और शेष सब संसारी वस्तुपं को, जो बिल्कुल तुच्छ, हीन और वास्तव में अवस्तु हैं, मांगते रहते हैं।
- तो ब्रह्मन या ईश्वर , पुरुष या स्त्री नहीं , ऐसा कहते हैं कि वो एक शक्ति है , एक क्षेत्र , एक आकाश , जो सबका आधार है और सब कुछ इसकी ही परछाईं है | सब कुछ इसकी ही छाया , इसके ही प्रतिबिम्ब से बना है ये कोई वस्तु या अवस्तु नहीं है |
- ब्रह्मन , कटाक्षदर्शन के समान क्षणभंगुर व्यवहारपरम्परा से मनोहर यह संसाररचना कटाक्षपात और क्षणभंगुर नई नई कारीगरियों से मनोहर नृत्तासक्त नटी के समान अदभुत गन्धर्वनगर के सदृश अनेक भ्रम उत्पन्न करती है और यह पुनः पुनः बिजली रूप चंचल दृष्टि को फैलाती है अर्थात् जैसे ऐन्द्रजालिक स्त्री तन्त्र और मन्त्रों के विस्तार द्वारा लोगों के नयनों की दर्शनशक्ति को आच्छादित कर अवस्तु में वस्तु ज्ञान उत्पन्न कराती है , यह संसाररचनारूपी नर्तकी की दृष्टि भी वैसे ही बिजली से भी चंचल है अतएव यह नृतासक्त संसार रचना नृतासक्त नटी के समान है , इसमें कुछ भी सन्देह नहीं है।।